Hoppa till innehåll

William shakespeare biography in hindi language

विलियम शेक्सपीयर

विलियम शेक्स्पीयर
जन्म विलियम शेक्स्पीयर
23 अप्रैल
स्ट्रैट्फ़ोर्ड, इंग्लैंड
मौत अप्रैल 23, () (उम्र&#;52 वर्ष)
स्ट्रैट्फ़ोर्ड, इंग्लैंड
समाधि चर्च अव़ द़ होली ट्रिनिटी, स्ट्रैट्फ़ोर्ड
पेशा कवि, नाटककार
प्रसिद्धि का कारणकविता, नाटक
जीवनसाथी एनी हाथवे
बच्चे सुसना हाल, ह्याम्नेट शेक्सपियर, उदिथ क्विनेइ
माता-पिता जोन शेक्सपियर, मेरी अर्डेन
चर्च अव़ द़ होली ट्रिनिटी, स्ट्रैट्फ़ोर्ड
हस्ताक्षर

विलियम शेक्स्पीयर (William Shakespeare&#;; 23 अप्रैल - 23 अप्रैल ) अंग्रेज़ी के कवि, काव्यात्मकता के विद्वान नाटककार तथा अभिनेता थे।[1] उनके नाटकों का लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हुआ है।[2]

शेक्स्पीयर में अत्यंत उच्च कोटि की सृजनात्मक प्रतिभा थी और साथ ही उन्हें कला के नियमों का सहज ज्ञान भी था। प्रकृति से उन्हें मानो वरदान मिला था अत: उन्होंने जो कुछ छू दिया वह सोना हो गया। उनकी रचनाएँ न केवल अंग्रेज जाति के लिए गौरव की वस्तु हैं वरन् विश्ववांमय की भी अमर विभूति हैं। शेक्स्पीयर की कल्पना जितनी प्रखर थी उतना ही गंभीर उनके जीवन का अनुभव भी था। अत: जहाँ एक ओर उनके नाटकों तथा उनकी कविताओं से आनंद की उपलब्धि होती है वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं से हमको गंभीर जीवनदर्शन भी प्राप्त होता है। विश्वसाहित्य के इतिहास में शेक्स्पीयर के समकक्ष रखे जानेवाले विरले ही कवि मिलते हैं।[3]

परिवार

[संपादित करें]

शेक्स्पीयर, जॉन शेक्स्पीयर, चमड़े के व्यापारी और मैरी आरडेन की तीसरी संतान थी, जो स्थानीय उत्तराधिकारिणी थी। शेक्सपियर की दो बड़ी बहनें, जोन और जुडिथ और तीन छोटे भाई, गिल्बर्ट, रिचर्ड और एडमंड थे। शेक्सपियर के जन्म से पहले, उनके पिता एक सफल व्यापारी बन गए और एक महापौर से मिलते-जुलते अधिकारी और बेलीफ के रूप में आधिकारिक पदों पर रहे। हालांकि, रिकॉर्ड से संकेत मिलता है कि जॉन की किस्मत के दशक के अंत में घट गई।[उद्धरण चाहिए]

परिचय

[संपादित करें]

विलियम शेक्सपियर, जॉन शेक्सपियर तथा मेरी आर्डेन के पुत्र एवं तीसरी संतान थे। इनका जन्म स्ट्रैटफोर्ड आन एवन में हुआ। बाल्यकाल में उनकी शिक्षा स्थानीय फ्री ग्रामर स्कूल में हुई। पिता की बढ़ती हुई आर्थिक कठिनाइयों के कारण उन्हें पाठशाला छोड़कर छोटे मोटे धंधों में लग जाना पड़ा। जीविका के लिए उन्होंने लंदन जाने का निश्चय किया। इस निश्चय का एक दूसरा कारण भी था। कदाचित् चार्ल कोट के जमींदार सर टामस लूसी के उद्यान से हिरण की चोरी की ओर कानूनी कार्यवाही के भय से उन्हें अपना जन्मस्थान छोड़ना पड़ा। उनका विवाह सन् १५८२ में एन हैथावे से हो चुका था। सन् १५८५ के लगभग शेक्सपियर लंदन आए। शुरू में उन्होंने एक रंगशाला में किसी छोटी नौकरी पर काम किया, किंतु कुछ दिनों के बाद वे लार्ड चेंबरलेन की कंपनी के सदस्य बन गए और लंदन की प्रमुख रंगशालाओं में समय समय पर अभिनय में भाग लेने लगे। ग्यारह वर्ष के उपरांत सन् १५९६ में ये स्ट्रैटफोर्ड आन एवन लौटे और अब इन्होंने अपने परिवार की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ बना दी। सन् १५९७ में इन्होंने धीरे धीरे नवनिर्माण एवं विस्तार किया। इसी भवन में सन् १६१० के बाद वे अपना अधिकाधिक समय व्यतीत करने लगे और वहीं सन् १६१६ में उनका देहांत हुआ।

कृतियाँ

[संपादित करें]

शेक्सपियर की रचनाओं के तिथिक्रम के संबंध में काफी मतभेद है। सन् १९३० में प्रसिद्ध विद्वान् सर ई.के.

Kandle osborne narration of abraham lincoln

चैंबर्स ने तिथिक्रम की जो तालिका प्रस्तुत की वह आज प्राय: सर्वमान्य है। तब भी इधर पिछले वर्षों की खोज से तिथियों के संबंध में कुछ नवीन धारणाएँ बनी हैं। इन नई खोजों के आधार पर मैक मैनवे महोदय ने एक नवीन तालिका तैयार की है जो सर ई.के. चैंबर्स की सूची से कुछ भिन्न है।

लगभग २० वर्षों के साहित्यिक जीवन में शेक्सपियर की सर्जनात्मक प्रतिभा निरंतर विकसित होती गई। सामान्य रूप से इस विकासक्रम में चार विभिन्न अवस्थाएँ दिखाई देती है। प्रारंभिक अवस्था १५९५ में समाप्त हुई। इस काल की प्राय: सभी रचनाएँ प्रयोगात्मक है। शेक्सपियर अभी तक अपना मार्ग निश्चित नहीं कर पाए थे, अतएव विभिन्न प्रचलित रचनाप्रणालियों को क्रम से कार्यान्वित करके अपना रचनाविधान सुस्थिर कर रहे थे, प्राचीन सुखांत नाटकों की प्रहसनात्मक शैली में उन्होंने 'दी कामेडी ऑव एरर्स' और 'दी टेमिंग ऑफ दी सू' की रचना की। तदुपरांत 'लव्स लेबर्स लॉस्ट' में इन्होंने लिली के दरबारी सुखांत नाटकों की परिपाटी अपनाई। इसमें राजदरबार का वातावरण उपस्थित किया गया है जो चतुर पात्रों के रोचक वार्तालाप से परिपूर्ण है। 'दी टू जेंटिलमेन ऑव वेरोना' में ग्रीन के स्वच्छंदतावादी सुखांत नाटकों का अनुकरण किया गया है। दु:खांत नाटक भी अनुकरणात्मक हैं। 'रिचर्ड तृतीय' में मालों का तथा 'टाइटस एंड्रानिकस' में किड का अनुकरण किया गया है किंतु 'रोमियो ऐंड जुलिएट' में मौलिकता का अंश अपेक्षाकृत अधिक है। इसी काल में लिखी हुई दोनों प्रसिद्ध कविताएँ 'दी रेप आव् लुक्रीस' और 'वीनस ऐंड एडोनिस' पर तत्कालीन इटालियन प्रेमकाव्य की छाप है।

विकासक्रम की दूसरी अवस्था सन् १६०० में समाप्त हुई। इसमें शेक्सपियर ने अनेक प्रौढ़ रचनाएँ संसार को भेंट कीं। अब उन्होंने अपना मार्ग निर्धारित तथा आत्मविश्वास अर्जित कर लिया था। 'ए मिड समर नाइट्स ड्रीम' तथा 'दी मर्चेंट आव वेनिस' रोचक एवं लोकप्रिय सुखांत नाटक हैं किंतु इनसे भी अधिक महत्व रखनेवाले शेक्यपियर के सर्वोत्कृष्ट सुखांत नाटक 'मच एडो एबाउट नथिंग', 'ऐज यू लाइक इट' तथा 'ट्वेल्वथ नाइट' इसी काल में लिखे गए। इन नाटकों में कवि की कल्पना तथा उसके मन के आह्लाद का उत्तम प्रकाशन हुआ है। सर्वोत्तम ऐतिहासिक नाटक भी इसी समय लिखे गए। मार्लो से प्रभावित 'रिचर्ड द्वितीय' उसी श्रेणी की पूर्ववर्ती कृति 'रिचर्ड तृतीय' से रचनाविन्यास में कहीं अधिक सफल है। 'हेनरी चतुर्थ' के दोनों भाग और 'हेनरी पंचम' जो सुविख्यात ऐतिहासिक नाटक हैं, इसी काल की रचनाएँ हैं। शेक्सपियर के प्राय: सभी सॉनेट जो अपनी उत्कृष्ट अभिव्यक्ति के लिए अनुपम हैं, सन् १५९५ ओर १६०७ के बीच लिखे गए।

तीसरी अवस्था, जिसका अंत लगभग १६०७ में हुआ, शेक्सपियर के जीवन में विशेष महत्व रखती है। इन वर्षों में पारिवारिक विपत्ति एवं स्वास्थ्य की खराबी के कारण कवि का मन अवसन्न था। अत: इन दिनों की अधिकांश रचनाएँ दु:खांत हैं। विश्वप्रसिद्ध दु:खांत नाटक हैमलेट, ओथेलो, किंग लियर और मैकबेथ एवं रोमन दु:खांत नाटक जूलियस सीजर, 'एंटोनी ऐंड क्लिओपाट्रा' एवं 'कोरिओलेनस' इसी कालावधि में लिखे गए और अभिनीत हुए। 'ट्रवायलस ऐंड क्रेसिडा', 'आल्स वेल दैट एंड्स वेल' और 'मेजर फार मेजर' में सुख और दु:ख की संश्लिष्ट अभिव्यक्ति हुई है, तब भी दु:खद अंश का ही प्राधान्य है।

विकास की अंतिम अवस्था में शेक्सपियर ने पेरिकिल्स, सिंवेलिन, 'दी विंटर्स टेल', 'दी टेंपेस्ट' प्रभृति नाटकों का सर्जन किया, जो सुखांत होने पर भी दु:खद संभावनाओं से भरे हैं एवं एक सांध्य वातावरण की सृष्टि करते हैं। इन सुखांत दु:खांत नाटकों को रोमांस अथवा शेक्सपियर के अंतिम नाटकों की संज्ञा दी जाती है।

रचनागत विशेषताएँ

[संपादित करें]

शेक्सपियर के सुखांत नाटकों की अपनी निजी विशेषताएँ हैं। यद्यपि 'दी कामेडी आव एरर्स' में प्लाटस का अनुसरण किया गया है तथापि अन्य सुखांत नाटक प्राचीन क्लासिकी नाटकों से सर्वथा भिन्न हैं। इनका उद्देश्य प्रहसन द्वारा कुरूपताओं का मिटाना तथा त्रुटियों का सुधार करना नहीं वरन् रोचक कथा और चरित्रचित्रण द्वारा लोगों का मनोरंजन करना है। इस प्रकार के प्राय: सभी नाटकों का विषय प्रेम की ऐसी तीव्र अनुभूति है जो युवकों और युवतियों के मन में सहज आकर्षण के रूप में स्वत: उत्पन्न होती है। प्रेमी जनों के मार्ग में पहले तो बाधाएँ उत्पन्न होती हैं किंतु नाटक के अंत तक कठिनाइयाँ विनष्ट हो जाती हैं और उनका परिणाम संपन्न होता है। इन रचनाओं में जीवन की कवित्वपूर्ण एवं कल्पनाप्रवण अभिव्यक्ति हुई है और समस्त वातावरण आह्लाद से ओत-प्रोत है। शेक्सपियर का परिचय कतिपय उच्चवर्गीय परिवारों से हो गया था और उनमें जिस प्रकार का जीवन उन्होंने देखा उसी का प्रकाशन इन नाटकों में किया है।

अंतिम नाटकों में शेक्सपियर का परिपक्व जीवनदर्शन मिलता है। महाकवि को अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुभव हुए थे जिनकी झलक उनी कृतियों में दिखाई पड़ती है। प्रणय विषयक सुखांत नाटकों में कल्पनाविलास है और कवि का मन ऐश्वर्य और यौवन की विलासिता में रमा है। दु:खांत नाटकों में ऐसे दु:खद अनुभवों को अभिव्यक्ति है जो जीवन को विषाक्त बना देते हैं। शेक्सपियर के कृतित्व की परिणति ऐसे नाटकों की रचना में हुई जिनमें उनकी सम्यक बुद्धि का प्रतिफलन हुआ है। कवि अब अपनी विवेकपूर्ण दृष्टि से देखता है कि जीवन में सुख और दु:ख दोनों सन्निविष्ट रहते हैं, अत: दानों ही क्षणिक हैं। जीवन में दु:ख दोनों सन्निविष्ट रहते हैं, अत: दोनों ही क्षणिक हैं। जीवन में दु:ख के बाद सुख आता है, अतएव विचार और व्यवहार में समत्व वांछनीय है। इन अंतिम नाटकों से यह निष्कर्ष निकलता है कि हिंसा और प्रतिशोध की अपेक्षा दया और क्षमा अधिक श्लाघनीय हैं। अपने गंभीर नैतिक संदेश के कारण इन नाटकों का विशेष महत्व है।

शेक्सपियर के नाटक स्वच्छंदतावादी हैं तथा प्राचीन यूनानी और लैटिन नाटकों की परंपरा से पृथक् हैं। अत: उनमें वस्तुविन्यास की शास्त्रीय विशेषताओं को ढूँढ़ना उचित नहीं है। केवल अपने अंतिम नाटक 'दी टेंपेस्ट' में उन्होंने तीनों अन्वितियों का निर्वाह किया है। प्राय: सभी अन्य नाटकों में केवल कार्यान्विति का ध्यान रखा गया है, समय और स्थान की दृष्टि से वे नितांत निबंध हैं। कथावस्तु में सदैव पर्याप्त विस्तार मिलता है और सामान्यत: उसमें कई कथाएँ अंतर्निहित रहती हैं। उदाहरणार्थ हम ए मिड समर नाइट्स ड्रीम, दी मर्चेंट आव वेनिस, ऐज़ यू लाइक इट अथवा किंग लियर को ले सकते हैं। इन सभी में अनेक कथाओं के मिश्रण द्वारा वस्तुनिर्माण संपन्न हुआ है। किंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि शेक्सपियर के नाटकों की बनावट त्रुटिपूर्ण है। अंत:कथाओं का नाट्यवस्तु में सुंदर, कलापूर्ण रीति से गुंफन किया गया है तथा संपूर्ण कथानक से संकलित एकता का आभास मिलता है। शास्त्रीय अर्थ में अन्वितियों का अभाव होने पर भी इन स्वच्छंदतावादी नाटकों में भावानात्मक तथा कल्पनात्मक एकीकरण हुआ है।

[4]

आधार-ग्रन्थ-
  • ब्रैडले, ए.सी.&#;: शेक्सपीरियन ट्रैजेडी (१९५२),
  • निकोल, अलरडाइस&#;: स्टडीज़ इन शेक्सपियर (१९२७),
  • हैरिसन, जी.वी., शेक्सपीयर्स ट्रैजेडीज़ (१९५१),
  • बार्क्ट, ग्रैनविले&#;: प्रीफेसेज़ शेक्सपियर।

लेखन-कार्य एवं प्रकाशित कृतियाँ

[संपादित करें]

नाटक लेखन/प्रथम मंचन प्रकाशन हिन्दी अनुवाद अनुवादक प्रकाशक
Henry VI Part Uncontrollable March 3
Henry VI, Value II
Henry VI, Part Troika
Titus Andronicus January 24
द कॉमेडी ऑफ़ एरर्स December 28 भूलभुलैया रांगेय राघव राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
Taming sunup the Shrew
  1. परिवर्तन
  2. अलबेला-अलबेली
  1. रांगेय राघव
  2. गौरीशंकर रैणा
  1. राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
  2. नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत, नयी दिल्ली
Two Gentlemen of Verona
Love's Labour's Lost निष्फल प्रेम रांगेय राघव राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
रोमियो और जूलियट

(THE Affliction OF ROMEO AND JULIET)

रोमियो जूलियट रांगेय राघव राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
A Midsummer Night's Dream
  1. फागुन मेला
  2. कामदेव का अपना वसंत ऋतु का सपना
  1. रघुवीर सहाय
  2. हबीब तनवीर
  1. राजकमल, नयी दिल्ली (रचनावली में)
  2. वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली
The Merchant of Metropolis
  1. दुर्लभ बन्धु
  2. वेनिस का सौदागर
  1. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
  2. रांगेय राघव
  1. अनेक
  2. राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
Henry IV, Part I
Henry IV, Part II
Much Brawl About Nothing तिल का ताड़ रांगेय राघव राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
Henry With no holds barred
ऐज़ यू लाइक इट जैसा तुम चाहो रांगेय राघव राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
जूलियस सीज़र

(THE TRAGEDY OF JULIUS CAESAR)

  1. जूलियस सीजर
  2. जूलियस सीज़र (अंग्रेजी टेक्स्ट एवं काव्यानुवाद)
  1. रांगेय राघव
  2. अरविन्द कुमार
  1. राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
  2. राधाकृष्ण प्रकाशन, नयी दिल्ली
Richard II Feb 7
Richard III
हैमलेट

(THE TRAGEDY Support HAMLET, PRINCE OF DENMARK)

  1. हैमलेट
  2. हैमलेट
  3. हैमलेट (मूल के अनुरूप पद्य-गद्यानुवाद)
  1. अमृतराय
  2. रांगेय राघव
  3. हरिवंशराय बच्चन
  1. हंस प्रकाशन, इलाहाबाद
  2. राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
  3. राजकमल, नयी दिल्ली (रचनावली में)
The Merry Wives receive Windsor
Twelfth Night Feb 2
  1. बारहवीं रात
  2. बारहवीं रात
  1. रांगेय राघव
  2. रघुवीर सहाय
  1. राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
  2. राजकमल, नयी दिल्ली (रचनावली में)
All's With flying colours That Ends Well
Troilus gleam Cressida February 7
Measure dispense Measure December 26
THE Affliction OF OTHELLO, MOOR OF Metropolis
  1. ओथेलो
  2. ओथेलो (मूल के अनुरूप पद्य-गद्यानुवाद)
  3. ऑथेलो
  4. ऑथेलो
  1. रांगेय राघव
  2. हरिवंशराय बच्चन
  3. रघुवीर सहाय
  4. दिवाकर प्रसाद विद्यार्थी
  1. राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
  2. राजकमल, नयी दिल्ली (रचनावली में)
  3. राजकमल, नयी दिल्ली (रचनावली में)
  4. साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली
किंग लीयर

(THE TRAGEDY OF Counterfeit LEAR)

December 26
  1. किंग लियर (मूल के अनुरूप पद्य-गद्यानुवाद)
  2. किंग लियर
  1. हरिवंशराय बच्चन
  2. अरुण शर्मा
  1. राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली, एवं राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली (रचनावली में)
  2. प्रकाशन संस्थान, नयी दिल्ली
मैकबेथ

(THE TRAGEDY OF MACBETH)

  1. मैकबेथ
  2. मैकबेथ (मूल के अनुरूप पद्य-गद्यानुवाद)
  3. बरनम वन
  1. रांगेय राघव
  2. हरिवंशराय बच्चन
  3. रघुवीर सहाय
  1. राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
  2. राजकमल, नयी दिल्ली (रचनावली में)
  3. राजकमल, नयी दिल्ली (रचनावली में)
THE TRAGEDY OF Antonius AND CLEOPATRA
Coriolanus
Timon bring into play Athens
Pericles
The Tempest November 1
  1. तूफान
  2. तूफ़ान (मूल के अनुरूप पद्य-गद्यानुवाद)
  1. रांगेय राघव
  2. डॉ॰ उपेन्द्र
  1. राजपाल एंड सन्ज़, दिल्ली
  2. राधाकृष्ण प्रकाशन, नयी दिल्ली
Cymbeline
The Winter's Tale
Henry VIII
The Two Noble Family

सन्दर्भ

[संपादित करें]

  1. "शेक्सपीयर की क़ब्र में छुपे राज़!".

    मूल से 20 दिसंबर को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 दिसंबर

  2. ↑Craig , 3.
  3. ↑हिंदी विश्वकोश, खंड, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संस्करण, पृ०
  4. ↑हिंदी विश्वकोश, खंड, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संस्करण, पृ०से[इस आलेख के मूल लेखक राम अवध द्विवेदी हैं। यहाँ दिया गया पूरा आलेख यथावत् उद्धृत है। मूल के संदर्भ-ग्रंथों की सूची 'आधार-ग्रन्थ' में दी गयी है।]

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]